छंद युक्त रचनाएँ (कविताएँ )

       कुण्डलिया 

          *गणपति* 

गणपति को करती नमन,जोड़े दोनों हाथl

करो कृपा हमपर प्रभो,देना हरदम साथ ll

देना हरदम साथ, कष्ट सारे हर लेना l

मेरी सुनो पुकार, बुद्धि बल धन सब देना ll

कहती सुनो सरोज,प्रभो देना सन्मति l

करूँ नेक सब काम,पुत्र गौरी के गणपति ll


           *तुलसी*  

जिस घर में तुलसी  रहे,

 दीप जले हर  शाम l

वहाँ सदैव  विराजते, श्री हरि जी सुख धाम ll

श्री हरि जी सुख धाम, वही हैं सब के दाता  l

रखो भक्ति के भाव, तभी सुख दौड़े आताll

कहती सुनो सरोज, दया प्रभु की है उस पर ll

उनका वहीं निवास, रहें तुलसी माँ जिस घर ll


*गीतिका* 

11212  11212  11212   11212

        सरस्वती वंदना

कर जोड़ माँ करती  नमन अब  शारदे वरदान दोll

हिय से मिटा कर तम घना सच झूठ की  पहचान दोll


सुर को सजा कर गा सकूँ हर गीत को लय राग सेl

नित वंदना करती रहूँ  सरगम मधुर सुर तान दोll


नव छंद नित रचती रहूँ गुरु की कृपा रख शीश परl

यह लेखनी लिखती युगल अब 

 गीतिका सुन ज्ञान दोll


कविता कहूँ ग़जलें लिखूँ फिर गान भी मनसे करूँl

लिखते रहें नव छंद सब सबको सदा नित भान दो ll


सर हाथ माँ रखना सदा नित सत्य के पथ पर चलूँl

धन देश के हित जो  लुटा सकता बना धनवान दोll


नित जोत जगमग ज्ञान की जलती  रहे बस रात दिनll

अब खोल दो हिय द्वार का पट मत कभी अभिमान दो ll



*दोहे* 


अहंकार अच्छा नहीं,करे बुध्दि को भ्रष्ट|

धैर्य धीर सब छीनकर, देता है बस कष्ट||1||


सुंदर पौधा रोप कर,देना भूले खाद|

बढ़े नहीं ये खाद बिन,

 बात रखो ये याद||2||


बार -बार अपमान कर, तोड़ो मत मन डोर|

उलझा धागा प्रेम का, मिले नहीं फिर छोर||3||


जोड़ो नाता आप जब, करो पूर्ण विश्वास|

आने मत दो फिर कभी, संदेहो को पास||4||


हाथों की रेखा कहे, मानों मत यूँ हार|

हँसकर जीना सीख लो, सुंदर है संसार ||5|


मीरा के विश्वास से, काँटे बनते फूल l

कृष्ण -कृष्ण रटती फिरे, सुध-बुध अपनी भूल||6||



*कुण्डलिया*


           *गंगा*


गंगा अविरल बह रही, महिमा करूँ बखान|

पावन जल से जग हुआ, गंगा नदी महान||

गंगा नदी महान, सभी पापों को धोती|

करती है उपकार, सदा पूजा फिर होती||

कहती सुनो सरोज, कभी मत लेना पंगा|

कचरा मत यूँ डाल,उफन जायेगी गंगा||


*सरोज दुबे 'विधा'*


*कुण्डलियाँ*


     *जाना* 

जाना सबको एक दिन, छोड़ सभी का साथ| 

मिलना होगा या नहीं, जाने ये तो नाथ||

जाने ये तो नाथ,हृदय नित ही घबराता|

गिरे डाल से फूल जो,धरा में वह मिल जाता ||

कहती सुनो सरोज,बात जग भी यह माना|

जीवन माया मोह,छोड़ इसको है जाना|| 


       *कितने* 

कितने दिन अब पास हैं, जाने कब ये कौन?

मन की बातें बोल दो, रहो नहीं अब मौन||

रहो नहीं अब मौन,मिलो हँसकर फिर सबसे|

खोलो मन की गाँठ,रखी बाँधे जो कबसे||

कहती सुनो सरोज,मिले  तुमको पल जितने|

बाँटो खुशी अपार,बचे अब दिन हैं कितने||


*सरोज दुबे 'विधा'*


   

           कुण्डलियां

            *हिंदी* 

हिंदी बोली बोलिए,मीठी   शहद समान l

भारत की है ये सदा,  सदियों से पहचान ll

सदियों से पहचान, मान रखना है इसका ll

सहज सरल हैं बोल,रूप सुंदर है जिसका  ll

कहती सुनों सरोज, बनी  माथे की बिंदी l

हम सबकी है शान, हमारी प्यारी हिंदी ll

सरोज दुबे 'विधा'


             कुण्डलिया*

                *कागज* 

दिल के कागज पर लिखा, सजना तेरा नामl 

घड़ी -घड़ी  लिखती रही, तू ही चारों धाम ll 

तू ही चारों धाम, कलम जब भी है  चलती l

छपते मन के भाव, आस  मन में है पलती l

कहती सुनो सरोज, रहें सुख -दुख में मिलके 

 जीवन भर हम साथ,  

सदा धड़कन बन दिल केll 

 

*मोबाइल* 


मोबाइल ने छिन लिए , लोगों के दिनरात l

मेसेज नित्य सब करें, करें फोन से बातll

करें फोन से बात, गया आपस का मिलनाl

कम हैं सब सम्बंध, मिले बिन भूले खिलनाll

करे विरानी दूर, दिखाती फिर प्रोफाइलl

करते सभी प्रयोग, जिसे देखो मोबाइलll


सरोज दुबे 'विधा'


*नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ*💐

         *दोहे*

1. *माँ शैलपुत्री* 

*शैलसुता माँ आपका, जग करता है जाप* l

*जन्म हिमालय घर हुआ,हरती हर संताप* ll

2. *माँ ब्रह्मचारिणी* 

*हस्त कमण्डल धारती, ब्रह्मचारिणी मात* l

*बीहड़ वन में तप किया,भूखी रह दिन रात* ll

3.*माँ चंद्रघंटा*

*मात चंद्रघंटा करें, दुष्टों का संहार* l

*मस्तक पर घंटा सजे, चंदा- सा आकार* ll

4. *माँ कूष्मांडा*

*अष्ट भुजाएँ धारणी , रखती सबका मान* l

*जग धारण कर गर्भ में,देती जीवन दान* ll

5. *माँ स्कन्दमाता* 

*देवी माँ पद्मासना, का करता जो ध्यान* l

*ज्ञानी बनता मूढ़ भी , मिलता जग में मान* ll

6. *माँ कात्यायनी* 

*देवी माँ कात्यायनी, होती सिंह सवार* l

*महिषासुर की  घातिनी' हस्त रखी  तलवार* ll

7. *माँ कालरात्रि* 

*कालरात्रि जगदंबिका, काले लंबे बाल* l

*रासभ पर माँ बैठती, रूप बड़ा विकराल* ll

8. *माँ महागौरी* 

*सरस सुलभ मनमोहिनी,गौरी मंजुल रूप* l

*माता वाहन है वृषभ, गौर वर्ण ज्यों धूप* ll

9. *माँ सिद्धिदात्री* 

*कृपा सिद्धिदात्री करें, करके सिद्धि प्रदान* l

*अर्ध नार शिवजी  बने, करें शक्ति का मान* ll

*नव देवी माँ आपकी, महिमा अपरम्पार* | 

*सभी रूप को पूजता, सारा ही संसार* ll

*सरोज दुबे 'विधा'*

 *रायपुर छत्तीसगढ़*

       *दोहे*

         *क्रोध*

रक्तचाप जब -जब बढ़े, क्रोध करे हिय राज l

सुध -बुध खोता फिर मनुज, बिगड़े सारे काजll1ll

क्रोध पाप का मूल है, आने मत दो पासl

क्रोधी से करना नहीं, मधुर बोल की आसll2ll

क्रोध यदि बढ़ने लगे, हो जाओ फिर मौनl

क्रोध नहीं पहचानता, निकट खड़ा है कौनll3ll

जाप करें जब ओम का, मन हो जाता शांत l

स्वस्थ रहे तन- मन सदा,दिखे मनुज फिर कांतll4ll

चिंताओं को छोड़कर, सदा रहें खुश आप l

रक्तचाप बढ़ता नहीं, करें ओम का जाप ll5ll

*सरोज दुबे 'विधा'*

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